Aacharya Maghnandi Siddhanti
आचार्य माघनन्दि सिद्धान्ती
जीवन-परिचय : नन्दिसंघ को पट्टावली में अर्हद्बली के बाद माघनन्दि का उल्लेख किया है और इनका कार्यकाल 21 वर्ष बतलाया है। माघनन्दि राग-द्वेष और मोह से रहित, श्रुत के ज्ञाता, तप और संयम से सम्पन्न एवं लोक में प्रसिद्ध थे। आप प्रसिद्ध सिद्धान्तवेदी थे। मुनिमार्ग से च्युत हो जाने पर भी इनके श्रुतज्ञान का सदैव आदर होता रहा, अतः उन्होंने पुनः मुनिमार्ग धारण कर घोर तपस्या की। इनके समय के बारे में कुछ भी प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं, परन्तु सम्भवतः ये द्वितीय शताब्दी के विद्वान रहे हैं।
रचना-परिचय : माघनन्दि ने अपने कुम्हार जीवन काल के समय कच्चे घड़ों पर थाप देते समय गाते हुए एक ऐतिहासिक स्तुति बनाई थी, जो ' अनेकान्त' पत्रिका में प्रकाशित हो चुकी है।